लैंक्सेस 2040 तक कार्बन-तटस्थ बनने के लिए तीन सूत्रीय दृष्टिकोण अपना रहा है, लैंक्‍सेस बनेगी 2040 तक जलवायु - तटस्थ
लैंक्सेस 2040 तक कार्बन-तटस्थ बनने के लिए तीन सूत्रीय दृष्टिकोण अपना रहा है, लैंक्‍सेस बनेगी 2040 तक जलवायु - तटस्थ

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567



  • CO2e में कमी लाने के लिए बेल्जियम और भारत में चल रही पहली प्रमुख परियोजनाएं

  • कार्बन फुटप्रिंट बने भविष्य की प्रगति के मापदंड

  • जलवायु-तटस्थ प्रक्रिया और तकनीकी नवाचारों पर केंद्रित अनुसंधान


नागदा. विशिष्ट रसायन कंपनी लैंक्‍सेस ने खुद के लिए जलवायु संरक्षण का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। 2040 तक कंपनी का इरादा जलवायु-तटस्थ बनने और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को आज के तकरीबन 3.2 मिलियन टन CO2e से पूर्ण उन्मूलन की स्थिति तक लाना है। 2030 तक लैंक्सेस पहले ही CO2e उत्सर्जन के तकरीबन 1.6 मिलियन टन के वर्तमान स्तर की तुलना में 50 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य सुनिश्चित कर चुकी है।


लैंक्सेस के प्रबंधन बोर्ड के चेयरमेन मैथियास जैशर्ट कहते हैं, ''पेरिस समझौते के तहत वैश्विक समुदाय ग्‍लोबल वार्मिंग की स्थिति पर काबू पाने का निश्चय कर चुका है। इसके लिए हर सहयोगी की तरफ से व्यापक प्रयासों की दरकार होगी। 2040 तक जलवायु-तटस्थता की प्राप्ति के अपने लक्ष्य के साथ एक वैश्विक विशिष्ट रसायन कंपनी के रूप में हम अपना दायित्व निभा रहे हैं। इसके साथ, हम भविष्य में अपने ग्राहकों के लिए कहीं ज्यादा स्थायित्वपूर्ण सहयोगी होंगे।'' जैशर्ट संसाधनों के ज्यादा कुशल उपयोग से जुड़े दीर्घकालीन लागत-लाभों को भी रेखांकित करते हैं। वह कहते हैं, ''जलवायु संरक्षण से व्यापार के पहलू भी जुड़ते हैं। ''


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उत्सर्जन में कमी लाने के लिए स्पष्ट रणनीति


लैंक्सेस 2040 तक कार्बन-तटस्थ बनने के लिए तीन सूत्रीय दृष्टिकोण अपना रहा है । 


जलवायु संरक्षण के लिए प्रमुख असर छोड़ने वाली परियोजनाओं को शुरू किया जाना: 


अगले कुछ सालों में, लैंक्सेस ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए खास परियोजनाओं की शुरुआत करेगी। उदाहरण के लिए, कंपनी वर्तमान में अपने एंटवर्प कार्यक्षेत्र पर नाइट्रस ऑक्साइड के अपघटन की सुविधा का निर्माण कर रहा है। नई सुविधा 2020 से आप काम करना शुरू करेगी और ग्रीन हाउस गैसों के वार्षिक उत्सर्जन में तकरीबन 150,000 टन CO2e की कमी लाएगी। 2023 में दूसरे प्रसार के बाद CO2e उत्सर्जन में फिर से तीन लाख टन की कमी आएगी।


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इसके अलावा, लैंक्सेस अपने भारतीय कार्यक्षेत्रों में संपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति को नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों पर आधारित कर रही है। इसी कारण कंपनी जैव संसाधन और सौर ऊर्जा की आपूर्ति को व्यापक स्तर पर बढ़ा रही है और भविष्य में यह अब कोयला या गैस का उपयोग नहीं करेंगी। इससे 2024 तक CO2 उत्सर्जन में डेढ़ लाख टन की कमी आएगी। इन परियोजनाओं और अन्य मापदंडों के तहत लैंक्सेस कार्बन डाई आक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में 2025 तक आठ लाख टन की कमी लाएगी। इसके लिए प्रक्रिया में 100 मिलियन यूरो का निवेश किया गया है। 


उत्सर्जन में कमी लाना और प्रगति :


लैंक्सेस प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है। लेकिन उत्पादन बढ़ने के बावजूद, निजी व्यापारों में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के चलते इकाईयां सिमट रही हैं। तकनीकी कुशलता के अलावा सरकारी उपकरणों में बदलाव की भी इसमें भूमिका है। कंपनी के कार्बन फुटप्रिंट पर असर जैविक प्रगति और अधिग्रहण के लिए निवेश की शर्त बन रहा है। इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में औसत कमी से बेहतर प्रदर्शन करने वाली व्यापारिक इकाईयों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलता है। इतना ही नहीं, कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी लाना, बोनस निर्धारण के लिए प्रबंधकों के प्रदर्शन के आकलन का एक आधार बन गया है। 


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प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना और तकनीकी नवाचार : 


लैंक्सेस 2040 तक जलवायु-तटस्थ बनने के लिए वर्तमान में चल रही अपनी कई उत्पादन प्रक्रियाओं में फेरबदल कर रहा है। उदाहरण के लिए, कंपनी अपनी संरचनाओं को बेहतर बनाने की कोशिशें जारी रखेगी। जैसे- जब बात पौधों के बीच ऊष्मा के विनिमय और वायु को शुद्ध बनाने की हो। अन्य प्रक्रियाओं को पहले औद्योगिक पैमाने पर विकसित किया जाना चाहिए। इसीलिए कंपनी अपने अनुसंधान पर जलवायु-तटस्थता प्रक्रिया और तकनीकी नवाचार के नजदीक रखकर फोकस कर रही है।


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