औरंगाबाद ट्रेन हादसा, दुर्घटना या साजिश ?
औरंगाबाद ट्रेन हादसा, दुर्घटना या साजिश ?

TOC NEWS @ www.tocnews.org


ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567



16 लोग रेल पटरी पे कट के मर गए। कोई कहता है सो रहे थे। कोई कहता है चल रहे थे।



सूत्रो से मिली जानकारी के आधार पर - पहले मैं आपको बता दू कि रेलवे ट्रैक को मैने बहुत नजदीकी से देखा है। 9 साल तक ट्रैक पर चला हूँ। कभी पैदल तो कभी ट्रॉली से। गर्मी, बरसात,सर्दी, दिन और रात। मैं खुद ट्रैक इंजीनियर था। अपनी आंखो के सामने कई लोगो को रन ओवर होते हुए देखा हूँ। अपने स्टाफ को कटते हुए देखा हूँ। खुद भी कई बार रेल की पटरी पर घंटो बैठकर मैने थकान मिटाई है।


किंतु जब से ये औरंगाबाद की दर्दनाक घटना सुना हूँ, कई सारे सवालो का मैं जवाब नहीं ढूंढ पा रहा।


माना कि वो अभागे मजदूर सुबह के लगभग चार बजे रेल लाईन पर पैदल चल रहे थे।
बकौल ट्रेन ड्राईवर उसने कई बार हॉर्न बजाया। पर उनको सुनाई नहीं दिया। बहुत बढ़िया।
किंतु 4 बजे अंधेरा होता है भाई। हॉर्न नहीं भी सुने...पर ट्रेन के इंजिन की हेडलाइट इतनी तेज होती है कि सीधे ट्रैक पे 10 किमी दूर से दिख जाए। और जहाँ तक मेरी जानकारी है, उस जगह ट्रैक एकदम सीधा था। ना कोई कर्व और ना कोई ढलान।
तो फिर क्या 16 के 16 मजदूरो को हॉर्न के साथ साथ इंजिन की हेडलाइट भी नहीं दिखायी दी ?
ये कैसा मजाक है !?


दूसरी संभावना कि मजदूर थक कर ट्रैक पर ही सो गए थे।
50 MM मोटे पत्थरों पर कुछ देर के लिए बैठ कर सुस्ताया तो जरूर जा सकता है। पर उनके ऊपर सोया नहीं जा सकता। वो भी इतनी गहरी नींद में।
आपको बता दूँ कि जब पटरी पर ट्रेन 100 किमी की स्पीड में दौड़ती है तो ट्रेन के चलने से पटरी में इतनी जोर से वाइब्रेसन (कंपन) होते हैं कि 5-6 किमी दूर तक रेल पटरी कंपकंपाती है। चिर्र चिर्र की आवाज आती है अलग से।
तो यदि मान भी लू कि 16 मजदूर थक हार के रेल पटरी पे ही सो गए, तो क्या इनमें से एक को भी ये तेज कंपन और चिर्र चिर्र की कर्कश आवाज उठा ना सकी ??
ये कैसा मजाक है ??


दुर्घटना स्थल से खींचे गए फोटो बता रहे हैं कि ट्रैक के किनारे एकदम समतल जमीन थी। तो उस समतल जमीन को छोड़कर भला ट्रैक के पत्थरों पे कोई क्यू सोएगा ??
ये कैसा मजाक है ??


कुछ मजदूर जो ट्रैक पर नहीं सोकर, जमीन पर सो रहे थे.... वो बता रहे हैं कि ट्रेन के हॉर्न से उनकी आंख खुल गयी और उन्होने उन 16 मजदूरो को उठने के लिए आवाज दी।
ये कैसा मजाक है कि हॉर्न की आवाज से इन तीन चार मजदूरो की तो आंख खुल गयी। पर उन 16 में किसी एक की भी नींद नहीं टूटी। ना हॉर्न से, ना लाइट से, ना पटरी के तीव्र कंपन से और ना पटरियों की कर्कश चिर्र चिर्र से !!


फोटुओं में ट्रैक के बीचो बीच मजदूरो की रोटियाँ पड़ी हुई दिखायी दे रही हैं !
गजब भाई गजब !!
ट्रेन की 100 किमी की तूफानी स्पीड। वो स्पीड जिसमें पत्थर भी उछल के कई मीटर दूर जाके गिरे। पर रोटियाँ सलीके से ट्रैक के बीचो बीच रखी हुई हैं। ना तूफानी हवा में उड़ी, ना बिखरी। एक ही जगह रखी हुई हैं !!
ये कैसा मजाक है ?!


कही ये कोई साजिश तो नहीं ?
कहीं ये नफरत की राजनीति तो नहीं ?


मेरा शक है क्योकि महाराष्ट्र आज साजिशों का गढ़ बना हुआ है। पालघर से लेकर जमातियो को छुपाने तक की साजिश का गढ़, अर्नब जैसे राष्ट्रीय पत्रकार के ऊपर हमले की साजिश का गढ़, आर्थर_रोड़ जैसी बेहद संवेदनशील जेल में कोरोना फैलाने की साजिश का गढ़। ऊपर से ये भी पता चला है कि अर्नब को जो पोलिसकंर्मी 12 घंटे पूछताछ कर रहे थे, उनमे से एक को कोरोना है।


Popular posts
एडिशनल एसपी क्राइम ब्रांच निश्चल झरिया के विरुद्ध न्यायिक जांच की मांग, थाने में बैठाकर समझौता करवाने का आरोप, नहीं करने पर फर्जी मुकदमे में फ़साने की धमकी
Image
विवादित तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह सलारिया के आपराधिक प्रकरण में जबलपुर न्यायालय में पेशी, कई आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद भी शासकीय नौकरी पर काबिज
Image
फर्जी पुलिस बन नौकरीपेशा महिलाओं से शादी का झांसा देने वाला आरोपी गिरफतार
Image
सत्यकथा : बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है....कैसे भुल सकता हूँ उस रात को : मो.रफिक अंसारी
Image
दैनिक वांटेड टाइम्स के संपादक संदीप मानकर को खबर प्रकाशन के मामले के प्रकरण में भोपाल से गिरफ्तार कर हरियाणा पुलिस ले गई
Image