व्यापमं घोटाले से सम्बद्ध के. के. मिश्रा के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगाया गया मानहानि परिवाद भोपाल जिला न्यायालय ने किया खारिज़
व्यापमं घोटाले से सम्बद्ध के. के. मिश्रा के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगाया गया मानहानि परिवाद भोपाल जिला न्यायालय ने किया खारिज़

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मिश्रा ने कहा, श्री शिवराजसिंह चौहान ने एकबार फिर मुंह की खाई



भोपाल. भोपाल की जिला अदालत के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्री रोहित श्रीवास्तव ने आज कांग्रेस नेता के.के.मिश्रा के विरुद्ध व्यापमं घोटाले में उनके द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा लगाए गए मानहानि परिवाद को तकनीकी आधार पर खारिज़ कर दिया।


विगत 21 जून,2114 को प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के बतौर मिश्रा ने पार्टी मुख्यालय,भोपाल में एक प्रेसवार्ता कर व्यापमं महाघोटाले को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार व मुख्यमंत्री श्री चौहान पर दस्तावेजी प्रमाणों के साथ गंभीर आरोप लगाए थे,जिससे खिन्न होकर पूर्व मुख्यमंत्री ने उनके विरुद्ध भोपाल जिला अदालत में राज्य सरकार की ओर से मानहानि परिवाद दायर किया था। जिसे लेकर एडीजे श्री काशीनाथसिंह की अदालत ने मिश्रा को 2 साल की सजा व 25 हज़ार रु.अर्थदंड की सज़ा सुनाई भी थी।


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मिश्रा ने इस पारित आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के बाद देश की शीर्ष अदालत में न्यायाधिपति माननीय रंजनगोगोई व आर.भानुमति की पीठ ने अपने पारित आदेश में वर्ष 2018 में जिला न्यायालय,भोपाल के फैसले को निरस्त कर अर्थदंड की राशि भी मिश्रा को लौटाने के आदेश के साथ यह भी कहा कि इससे राज्य सरकार की कोई मानहानि नहीं हुई है। विधि में प्रावधान है कि श्री शिवराजसिंह चौहान राज्य सरकार की ओर से परिवाद लगाने के साथ व्यक्तिगत तौर पर निर्धारित अवधि में मानहानि परिवाद लगा सकते थे,किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया ।


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शीर्ष अदालत के इस निर्णय के बाद श्री चौहान ने पुनः मिश्रा के ख़िलाफ़ निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद जिला न्यायालय, भोपाल में एक और परिवाद दायर किया और विलंब के लिए न्यायालय से क्षमा याचना भी की। मिश्रा के अभिभाषक श्री संदीप गुप्ता व उनके सहयोगी अभिभाषकों ने इसे बड़ी तकनीकी त्रुटि बताते हुए इसका विरोध किया।अंततः आज प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्री रोहित श्रीवास्तव ने मिश्रा की आपत्ति को स्वीकार करते हुए श्री चौहान के मानहानि परिवाद को खारिज़ कर दिया।


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अपने पक्ष में आज आये इस महत्वपूर्ण फैसले पर जारी अपनी प्रतिक्रिया में मिश्रा ने कहा कि यह देश मे प्रचलित न्याय व्यवस्था की जीत है श्री शिवराजसिंह चौहान ने मेरे विरुद्ध पूर्व में लगाए गए मानहानि प्रकरण व कराई गई सज़ा के लिए "राज्य सरकार की ओर से" मानहानि परिवाद लगाकर सरकार का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध निरंतर कायम रहने वाली मेरी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया था,जिसमें वे असफ़ल रहे और आज उन्होंने एक बार फिर मुंह की खाई है।


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