ग्रेसिम उद्योग लिमिटेड की सी एस आर के तहत करोड़ों रुपयों की धांधली |
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा, जिला उज्जैन, मध्यप्रदेश में स्थित ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा सी.एस.आर. के तहत करोड़ो रुपयों की धांधली करने का कार्य किए जाने की शिकायत शासन एवं उच्च अधिकरियों से की गई थी । क्योंकि इनकी औद्योगिक इकाई द्वारा वर्षों से प्रोडक्शन का संपूर्ण कार्य नागदा की भूमि पर किया जा रहा हैं । आज नागदा में गंभीर प्रदूषण की प्रमुख जिम्मेदार भी यहीं औद्योगिक इकाई हैं ।
इनके प्रबंधन द्वारा कभी इस बात की जानकारी नहीं दी जाती हैं कि आखिर कुल नेट प्रॉफिट के 2 प्रतिशत के अंतर्गत सी.एस.आर. के तहत आने वाली करोड़ो रुपये की राशि का उपयोग आखिर किस किस क्षेत्र में किया जाता हैं । इस गंभीर जनहित के मामले को लेकर जिला कलेक्टर, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एवं उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई थी ।
जिस पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकरी, उज्जैन द्वारा प्रबंधक, ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को दिनांक 23/01/2020 एवं 01/02/2020 को जारी दो नोटिसों के माध्यम से जवाब तलब किया गया था जिस पर उद्योग द्वारा भेजे गए जवाब से असंतुष्ट होकर जिला प्रशासन द्वारा सीएसआर के तहत ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा किए गए पूर्व के कार्यों की जांच हेतु समिति का गठन करने का कार्य शुरू कर दिया गया है और इनके द्वारा कब कब और कहां कहा सीएसआर के तहत कार्य किया गया है उसकी संपूर्ण रिपोर्ट तैयार कर कार्यवाहीं की जाएगी ।
निम्नलिखित बिंदुओं पर कार्यवाही की मांग की थी -
- 1) ग्रेसिम जनसेवा अस्पताल जिसका संचालन ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा सी.एस.आर. के तहत किया जाता हैं जिसमें आज दिनांक तक स्थानीय नागरिकों को किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा निःशुल्क नहीं दी जाती हैं । यहाँ तक कि ओ.पी.डी. का भी शुल्क 50 रुपये से 200 रुपए प्रति मरीज़ वसूला जाता हैं । दवाओं के लिए इन्हीं के मेडिकल स्टोर से महंगी दवा खरीदने का दबाव बनाया जाता हैं । फिर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सीएसआर के तहत किस प्रकार से इनका सहयोग दिया जा रहा हैं ।
- 2) आदित्य बिड़ला समूह द्वारा नागदा में संचालित किए जाने वाले 3 विद्यालयों आदित्य बिड़ला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिड़ला सीनियर सेकंडरी स्कूल एवं आदित्य बिड़ला उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का संचालन भी सी.एस.आर. के तहत किया जाता हैं । जबकि नागदा में स्थित इन विद्यालयों में सबसे अधिक फ़ीस वसूली जाती हैं । किसी भी प्रकार की कोई रियायत नहीं दी जाती हैं।
- 3) पूर्व में आदित्य बिड़ला स्किल्स फ़ाउंडेशन नामक संस्था जिसका संचालन भी आदित्य बिड़ला समूह द्वारा सीएसआर के अंतर्गत नागदा में किया जा रहा था लेकिन अब उसका संचालन भी बंद कर दिया गया हैं लेकिन उस संस्था के संचालन में भी करोड़ो रुपये की धांधली कर स्थानीय उद्योग प्रबंधन के करीबियों को लाभ पहुँचाने का कार्य किया गया हैं।
- 4) ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, नागदा द्वारा चंबल नदी में छोड़े जा रहे रसायनयुक्त पानी की वजह से प्रदूषित घोषित हुई चंबल नदी के किनारे बसें गांवो के प्रदूषण पीड़ितों को पेयजल की सप्लाई भी सीएसआर के तहत ही की जा रही हैं जबकि नागदा के चंबल डेम के 4 जल स्रोतों पर आदित्य बिड़ला समूह का ही अधिकार हैं । क्योंकि उक्त जल स्रोतों के जल का उपयोग इनके उत्पादन कार्य में किया जाता हैं ।
- 5) चंबल नदी पर डेम के निर्माण कार्य के संबंध में भी करोड़ों रुपए की धांधली कर वर्षों पूर्व बनवाए गए डेम के निर्माण के नाम पर सीएसआर की धनराशि खर्च की जाना बताया गया है ।
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि भारत सरकार द्वारा कंपनी एक्ट 2013 के तहत सीएसआर पालिसी का निर्माण इसीलिए किया गया था कि उद्योगों द्वारा उनके कुल नेट प्रॉफिट का 2 प्रतिशत हिस्सा उस क्षेत्र के विकास में लगाया जाएं जहाँ इनकी इकाइयां स्थापित हैं। यदि इनके द्वारा सीएसआर का सही उपयोग नागदा शहर के शहरवासियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं सामाजिक गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से होता तो शायद शहर की स्थिति बहुत ही ज्यादा सुदृढ़ होती। लेकिन सिर्फ आंकड़ों के खेल में उलझाकर सीएसआर की राशि को गबन करने और निजी हित लाभ साधने का प्रयास किया जा रहा हैं।
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि शिकायत के माध्यम से उन्होंने ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ के विगत 5 वित्तीय वर्षों 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की सीएसआर राशि के गबन और टैक्स चोरी की जांच की मांग की है तथा इस मामले में सीएसआर चेयरपर्सन राजश्री बिरला, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रगयना राम, सीएसआर कमेटी सदस्य शैलेन्द्र कुमार जैन आदि के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की है क्योंकि उक्त सीएसआर राशि का भुगतान एवं समस्त कार्य इस समिति के माध्यम से ही किया जाता है ।
नियमानुसार सीएसआर की राशि का खर्च कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट एवं रजिस्टर्ड ऑफिस जहां पर स्थित हो उसी क्षेत्र के लिए किया जाने का प्रावधान है लेकिन इसके विपरित ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा देशभर में खर्च करने का कार्य प्रदर्शित किया जा रहा हैं। जो कि उनके द्वारा अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के समक्ष स्वीकार भी किया गया है ।
सीएसआर के तहत 100 करोड़ से ज्यादा की राशि करना थी खर्च -
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को उनके नेट प्रॉफिट का 2 प्रतिशत क्षेत्र के विकास में खर्च किया जाना चाहिए था लेकिन सिर्फ काग़जो में ही उलझाकर सबको गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा हैं। वर्ष 2014-15 में 20 करोड़, 2015-16 में 15.84 करोड़, 2016-17 में 15.84 करोड़, 2017-18 में 26.98 करोड़ एवं 2018-19 में 22 करोड़ से ज्यादा की राशि का खर्च कंपनी द्वारा किया जाना था लेकिन सिर्फ आंकड़ों के खेल में उलझाकर सबको गुमराह करने का कार्य किया गया है। जिसके संबंध में कॉरपोरेट मंत्रालय, भारत सरकार के रिकॉर्ड भी शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध है जिसे लेकर उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाया जा चुका हैं ।