मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 के सहारे मांग रहा था न्याय, मिली 151 के तहत जेल !
 मध्य प्रदेश शासन CMHELPLINE 181

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दमोह जिले के बटियागढ़ का यह मामला दर्शाता है कि आम आदमी को न्याय पाने कितनी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ... अपने घर के लिये जाने वाले रास्ते को लेकर पिछले 5 साल से लगातार तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहा गनेश रैकवार अपने न्याय की आस में मध्यप्रदेश की जिस 181 हेल्पलाइन का सहारे उम्मीद लगाये बैठा था गत 11 फरवरी को बटियागढ़ पुलिस थाने में उसे 181 से न्याय के बदले धारा 151 के तहत जेल जाना पड़ा ।


मामला दमोह जिले के बटियागढ़ तहसील के ग्राम पंचायत लोकायन के बरक्वाइन गांव का है जहां पर की गनेश नाम के एक व्यक्ति ने अपने घर की ओर जाने वाले शासकीय रास्ते पर हुए अतिक्रमण को लेकर 2014 में से आवेदन लगाकर अपने घर को जाने वाले रास्ता को अतिक्रमण मुक्त करने की गुहार लगाई है अपनी इस जायज मांग को लेकर वह कलेक्टर की जनसुनवाई सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित राष्ट्रपति महोदय तक को आवेदन प्रेषित कर न्याय की मांग करता रहा है ।


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इस बाबत उसने तहसील न्यायालय में मामला क्रमांक 1466 ब 121, वर्ष 2014 15 और राजस्व मामला क्रमांक 0061(अ-6अ) वर्ष 2016 -17 अभिलेख 12100 6668 2016 के माध्यम से भी न्याय की मांग की । आवेदक के द्वारा 11 दिसम्बर 2019 को मुख्यमंत्री में हेल्पलाइन नंबर 9862655 के माध्यम से आवेदन प्रेषित कर अपनी व्यथा बताते हुए राहत की मांग की गई थी किंतु लंबा समय बीत जाने के बाद भी उसकी इस गुहार को नहीं सुना गया और गत 11 फरवरी को उसकी अनुपस्थिति के दौरान मौके पर पहुंची तहसीलदार को जब वह अपने घर पर नहीं मिला और जब उसको इसकी जानकारी लगी तो वह तहसील कार्यालय पहुंचकर मौके पर की गई कार्यवाही की.


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जानकारी से अवगत होने हेतु तहसीलदार मेडम से सवाल जबाब कर बैठा उसका इतना व्यवहार तहसीलदार को नागवार गुजरा और उन्होंने उसे अभद्रता मानते हुए उसकी शिकायत तत्काल ही पुलिस को कर दी मौके पर पहुंची पुलिस ने भी फुर्ती से कार्यवाही करते हुए उसे पकड़कर थाने लाई और एक पुलिसकर्मी ने उसका मोबाइल छुड़ाकर उसके द्वारा की गई 181 कि शिकायत पर सहमति जताते हुए शिकायत को बंद करवा दिया और फिर उसे ले जाकर जेल में बंद कर दिया गया ।


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महत्वपूर्ण बात यह कि एक व्यक्ति पिछले कई सालों से अपनी जायज मांग को लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहा है ऐसे में अगर वह किसी कारणवश मौके पर नहीं मिला तो उसका की गई कार्यवाही से अवगत होने का पूर्ण अधिकार था क्योंकि वह इस हेतु पिछले 4 -5 साल से तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहा था । इस मामले में तहसीलदार और पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने भले ही उसे 151 की धारा लगाकर जेल भेज दिया किन्तु इस पूरे घटनाक्रम में यह बात तो स्पस्ट सन्देश दे गई कि जहां एक और आम आदमी को न्याय दिलाने और अवैध अतिक्रमण और भू माफियाओं पर कार्यवाही का अभियान चलाया जा रहा हो उस प्रदेश में पुलिस के बलबूते न्याय की चौखट पर इस तरह का अन्याय की इबारत लिखी जा रही है ।


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