नशे की गलत लत पर अंकुश लगाने के लिए जागरूकता लाने की जरूरत- जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद
नशे की गलत लत पर अंकुश लगाने के लिए जागरूकता लाने की जरूरत- जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद

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जिला ब्यूरो चीफ रायगढ़  // उत्सव वैश्य : 9827482822



प्रदेश में नये नेतृत्व की होगी नियुक्ति



रायगढ़, जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद ने कहा कि नशे की लत से समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। नशे की लत से जूझ रहे लोगों का अनुपात बढऩा चिंतनीय है, अब वक्त आ गया है कि इस गलत लत पर अंकुश लगाया जाए। समाज को नशामुक्त करने के लिए लोगों में जागरूकता लानी होगी। विशेषकर स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूकता लाने की जरूरत है।


उक्त बातें जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद ने आज कलेक्ट्रेट के सृजन सभाकक्ष में नालसा (नशा पीडि़तों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 एवं स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 तथा सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम पर वर्तमान चुनौतियां एवं परिचर्चा पर कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर कहीं। इस अवसर पर कलेक्टर श्री यशवंत कुमार, पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह, अपर कलेक्टर श्री राजेन्द्र कुमार कटारा उपस्थित थे।


कलेक्टर श्री यशवंत कुमार ने कहा कि नशे से संबंधित वर्तमान में दर्ज अपराधों की संख्या को देखते हुए समय-समय पर ऐसी कार्यशाला का आयोजन होते रहना चाहिए और इसमें स्कूल एवं कालेज के विद्यार्थियों को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। समाज में कई ऐसे लोग है, जिन्हें पता ही नहीं चलता कि वे कब नशे की लत में पड़ गए है। नशे की गिरफ्त में आ चुके लोग जरूरी नहीं है कि वे अपराधी हों उन्हें सुधरने का मौका देना चाहिए और नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों को स्वयं भी इस लत से निकलने का प्रयास करना चाहिए। कई लोग नशे की लत में लूट और मर्डर जैसी बड़ी घटनाएॅ कर देते हैं। समस्या बहुत गंभीर है, हमें विवेचना को और अधिक कैसे स्ट्रांग बनाये, इस पर भी चर्चा हेतु के लिए कार्यशाला आयोजित की गई है, यह बहुत अच्छी बात है।


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पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह ने देश में व्याप्त नशा पीडि़तों एवं ड्रग्स से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या तथा इन पर दर्ज मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने समाज में नशा से संबंधित बढ़ते हुए अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावी उपायों को बताया तथा विवेचना अधिकारी को विवेचना में बरती जाने वाली प्रक्रियागत सावधानियों एवं विधि के उपबन्धों का पालन कैंसे करें, इसके संबंध में चर्चा करने के लिए कहा।


नशा के दुष्प्रभावों एवं नशामुक्ति से संबंधित विषयों पर प्रोजेक्टर के माध्यम से नालसा के शार्ट फिल्म दिखाया गया तथा नालसा (नशा पीडि़तों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 एवं स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 तथा सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम पर वर्तमान चुनौतियां पर परिचर्चा हुई। कार्यशाला में कल्याणी सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च आर्गनाइजेशन भिलाई की ओर से रिसोर्स पर्सन के रूप में आये सचिव श्री अजय कुमार के द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि नशा के दुष्प्रभावों को उनकी समिति द्वारा नशा पीडि़तों के लिये कल्याणी एकीकृत पुनर्वास एवं नशा मुक्ति केन्द्र का शुभारम्भ किया गया है।


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जिसमें नशा मुक्ति केन्द्र द्वारा दिनचर्या बनाई गई है, जिसमें सेशन, थेरेपी, डायरी राइटिंग, मनोरंजन, योगा, ध्यान, उपचार आदि माध्यम से प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नशा पीडि़तों को नशे की लत से दूर करने हेतु उनकी समिति एक रणनीति तैयार करती है और नशा पीडि़त जब एडमिट होता है तो उसका चेकअप, शरीर से नशीली चीजों को बाहर निकलना, शारीरिक मर्ज का इलाज, परामर्श विभिन्न थैरेपियॉ आदि जैसी चार से छ: दिन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इलाज पूर्ण होने के पश्चात् मरीज का फालोअप लिया जाता है तथा उसके एवं परिवार के निरन्तर सम्पर्क में रहते हैं और उन्हें सादगीपूर्ण जीवन जीने हेतु प्रेरित करते हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से डॉ तरूण कुमार टोण्डर, विशेषज्ञ मनोचिकित्सक एवं डॉ विमल भगत विशेषज्ञ मनोचिकित्सक, पी.एस.डब्ल्यू, डी.एम.एच. श्री संतोष पाण्डेय, जिला ड्रग्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सिद्धान्त शंकर मोहन्ती, जिला अधिवक्ता संघ के सचिव श्री महेन्द्र सिंह यादव के द्वारा नशे की लत को छुड़ाये जाने के लिए प्रभावी उपायों के संबंध में चर्चा की गई।


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महाविद्यालयों एवं विद्यालय से आये छात्र-छात्राओं के द्वारा भी अपनी नशा पर अपनी अभिव्यक्ति दी गई। कार्यकम के इस द्वितीय चरण में, न्यायिक अधिकारीगण, लोक अभियोजक, उपसंचालक अभियोजन, जिला प्रशासन के अधिकारीगण ए.एस.पी. एवं डी.एस.पी. स्तर के अधिकारीगण, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एवं पदाधिकारीगण एवं अधिवक्तागण, पुलिस प्रशासन, जी.आर.पी., आर.पी.एफ. के प्रभारी अधिकारीगण, आबकारी विभाग से सहायक जिला आबकारी अधिकारी एवं उपनिरीक्षक, क्राइम ब्रान्च की टीम, चिकित्सा विभाग, विशेषज्ञ मनोचिकित्सा मेडिकल कालेज, ड्रग्स एसोसिएशन, महिला एवं बाल विकास विभाग से जिला संरक्षण अधिकारी तथा जिला बाल कल्याण अधिकारी, समाज कल्याण विभाग,से सामाजिक कार्यकर्ता, आंगनबाडी सुपरवाईजर एवं सहायिका, शिक्षा विभाग की ओर से महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के प्राचार्य एवं समन्वयक प्राध्यापकगण एवं छात्र तथा छात्राएॅ, नशा मुक्ति से जुड़ी अन्य संस्थाएॅ, न्यायालयीन कर्मचारीगण एवं पैरालीगल वालिंटियर्स आदि उपस्थित रहे।


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कार्यक्रम के तृतीय चरण में, स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 पर विस्तृत चर्चा हुई। इस तीसरे चरण में न्यायिक अधिकारीगण, पुलिस विभाग, अभियोजन, आबकारी विभाग, जी.आर.पी.एवंआर.पी.एफ. के विवेचना अधिकारी उपस्थित रहे। विवेचना में बरती जानी वाली सावधानियों के विषय में लोक अभियोजक श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव एवं जिला न्यायाधीश सहित श्री विवेक कुमार तिवारी, विशेष न्यायाधीश (अन्तर्गत एन.डी.पी.एस.एक्ट) द्वारा विस्तृत परिचर्चा की गई। उपस्थित विवेचना अधिकारीगण द्वारा एन.डी.पी.एस. एक्ट मामलों में आ रही समस्याओं के सम्बन्ध में, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से समस्या-समाधान किया गया। तृतीय चरण के समापन की घोषणा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री दिग्विजय सिंह के द्वारा की गई।


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