शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा माफिया के निशाने पर, कांग्रेस नेता ने लिए 50 लाख ! |
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माफिया का साथ दे रहे विधायक ने लिखी ललित दाहिमा को हटाने मुख्यमंत्री को चिट्ठी
शहडोल // राहुल मिश्रा
शहडोल. मप्र के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने माफिया राज खत्म करने का अभियान चलाया । जिसे अंजाम देने के काम पर हर जिले के कलेक्टर और संभागायुक्त जुटे लेकिन दहशत में आए माफिया ने कलेक्टरों को निबटाने के लिए कांग्रेस के ही नेताओं से मिलकर सांठगांठ रचनी शुरू कर दी है। माफिया के इशारे पर कलेक्टर को हटाने से जुड़ा पहला मामला शहडोल जिले से आया है। सूत्रों की माने तो शहडोल में कलेक्टर की सख्ती से भू माफिया पस्त हो गया और उसने कांग्रेस के नेताओं से मिलकर कलेक्टर को जिले से हटाने की एवज में पचास लाख रुपये की रकम देने की डील की है।
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इतना ही नहीं बतौर पेशगी कांग्रेस के नेता ने 10 लाख रुपये ले रखे हैं। अगर यह खबर सच है तो मप्र सरकार की मंशा पर इसका गहरा असर पड़ेगा। हालांकि विजय मत को यह खबर पता लगी है कि भूमाफिया और रेत माफिया से मिलकर कलेक्टर को कलेक्टरी से हटाने की साजिश रची गई है और इसकी एवज में लाखों रुपये की बोली भी लगाई गई है। कांग्रेस नेताओं और माफ़िया द्वारा रची गई इस साजिश में जिले के एक विधायक का नाम भी सामने आ रहा है। माफिया राज के खिलाफ चलाये जा रहे खत्मा अभियान को लेकर शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा माफिया के निशाने पर आ गए हैं।
कांग्रेस के नेता माफ़िया को बचाने में खड़े हो गए हैं। सूत्रों की माने तो माफिया के कहने पर ही एक विधायक पिछले कई महीनों से कलेक्टर को हटाने की रट लगाए हुए हैं। उंन्होने बकायदा चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री से कलेक्टर दाहिमा को हटाने की मांग की है। अफसोस की बात यह है कि मप्र सरकार और मुख्यमंत्री के निर्णय के साथ खड़े होने की बजाय शहडोल जिले के कुछ कांग्रेसी नेताओं का एक गुट माफिया के साथ खड़ा हो गया है। इधर, भाजपा के भी नेता यही चाहते हैं कि कलेक्टर ललित दाहिमा को हटा दिया जाए ताकि गैरकानूनी कार्यों पर लगी रोक हट जाए।
कलेक्टर दाहिमा ने शहडोल में जिस आक्रामक शैली में मुख्यमंत्री की मंशा को लागू करने के प्रयासों को तेजी दे रखी है उससे माफिया में भय व्याप्त है। शहडोल में अफवाहों का बाजार सोशल मीडिया में गर्म है कि कलेक्टर दाहिमा का ट्रांसफर होने वाला है। अब देखना होगा मुख्यमंत्री इस खबर पर कितना संज्ञान लेते हैं। मप्र सरकार आजकल में आईएएस अफसरों की तबादला सूची पर मुहर लगा सकती है। कहते हैं कि एक दर्जन कलेक्टरों को बदलने की योजना है ताकि पंचायत चुनावों पर जुटा जा सके।
कैसे पूरी होगी सरकार की मंशा-
शहडोल के इस मामले ने नौकरशाहों के मन मे शंकाएं उत्पन्न कर दी है। दबी जुबान से अफसर कहने लगे हैं कि यदि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि मिलावटखोरों और माफिया के खिलाफ अभियान चलाया जाए तो हम ईमानदारी से कार्य करने को तैयार हैं मगर माफिया के साथ मिलकर विधायक या कांग्रेस नेता हमारे खिलाफ खड़े होते हैं तो हमे पूरा संरक्षण मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने दो टूक कह रखा है कि कलेक्टर माफिया राज को जड़ से मिटाने के अभियान में कोई कमी न बरतें लेकिन कांग्रेस के ही नेता भोपाल जाकर हमारी शिकायतें करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारे मन मष्तिष्क पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इससे कार्य प्रभावित होने लगता है। कुलमिलाकर मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत दें कि सरकार के निर्णयों में साथ दें।