भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ अंतिम संस्कार कराया, इंसानियत ही यहां काम आई
भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ अंतिम संस्कार कराया, इंसानियत ही यहां काम आई

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  • भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा

  • पूर्व सीएम कमलनाथ ने तस्वीर देख की तारीफ

  • इंदौर में भी कुछ दिन पहले मुस्लिम समाज के लोगों ने किया था ऐसा

  • लॉकडाउन की वजह से रिश्तेदार नहीं आए, तो कोरोना के डर से हिंदू पड़ोसी नहीं निकले


भोपाल के मोहन नामदेव गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं. मंगलवार रात पत्नी क्षमा की मौत हो गई. उनके दो बेटे दोस्त आदिल की मदद से मां को घर लाए. आदिल ने मोहल्ले के लोगों को सूचना दी. बस्ती में 500 से अधिक हिंदू परिवार हैं. कोई नहीं आया. अंतिम संस्कार करने में कम से कम चार लोग चाहिए. बेटों के कुछ एक दोस्त आए लेकिन मुसलमानों को लगा कि यह ठीक नहीं है. मुसीबत में साथ देना चाहिए.

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मानवता की शानदार मिशाल पेश की है। हिंदू महिला की मौत के बाद मुस्लिम पड़ोसी उनके शव शवदाह गृह तक लेकर गए। लेकिन समाज के लोग लॉकडाउन के बीच मदद करने नहीं आए। शव यात्रा के दौरान सभी लोग ''राम नाम सत्य'' भी बोलते रहे। विपत्ति के समय में यह मिसाल भोपाल के टीलाजमालपुरा के लोगों ने पेश की है। 



दरअसल, टीला जमलापुरा निवासी मोहन नामदेव इलाके में गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। उनकी 50 वर्षीय पत्नी क्षमा की मौत मंगलवार रात हो गई थी। अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोगों की जरूरत थी लेकिन घर में मोहन के सिर्फ दोनों बेटे ही मौजूद थे। दोनों बेटों ने अपने दोस्त आदिल की मदद से मां का शव नगर निगम की गाड़ी से घर लेकर पहुचे।



पड़ोसी को दी सूचना


बुधवार को आदिल ने मोहल्ले के सभी लोगों को इसकी जानकारी दी। मुस्लिम समाज के लोग एकट्ठा हुए. उसके बाद लोग अर्थी सजाने की तैयारी में जुट गए। पास से कोई बांस काट कर ला रहा था तो को फूलों से उसे सजा रहा था। सबने मिलकर इंतजाम किया, अर्थी सजाई और क्षमा के दोनों बेटों के साथ अर्थी को कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ शमशान ले गए और महिला का अंतिम संस्कार कराया. सियासी नफरतों के दौर में इंसानी कहानियां मौजूद हैं. यह देखिए कि मुसीबत में धर्म काम नहीं आता. इंसान काम आता है. उसके बाद क्षमा के दोनों बेटे और मोहल्ले के मुस्लिम युवक शव को लेकर छोला रोड स्थित शवदाह गृह पहुंचे। जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ।


क्षमा के बेटों के दोस्त ने कहा कि इस बस्ती में करीब 500 से अधिक हिंदू परिवार के लोग रहते हैं। कोरोना के डर इस मुश्किल वक्त में कोई भी व्यक्ति इस परिवार का हाल लेने नहीं आया। लॉकडाउन की वजह से रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे। हां, उनके बेटों के कुछ दोस्त जरूर आए थे और सभी हमारे साथ शवदाह गृह तक गए थे।


पूर्व सीएम ने की तारीफ


मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने लिखा कि इंदौर के साउथ तोड़ा के बाद भोपाल के टीलाजमालपुरा इलाके से भी सामने आई सांप्रदायिक सद्भाव की तस्वीर। एक हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम समाज के युवकों ने दिया कांधा। इसी प्रकार का आपसी प्रेम-स्नेह भाईचारा हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को बताता है।


किसी समाज का कोई अपराधी है तो उसे सजा दीजिए, पूरे समाज को अपराधी मत कहिए. महात्मा गांधी ने कहा था, पापी से नहीं, पाप से घृणा करो. अपराधी से नहीं, अपराध से घृणा करो. अपराध करने वाले को बुरा कहो. एक अपराधी का अपराध सारे समाज का प्रमाण पत्र नहीं है. मनुष्य बनो.



( फोटो क्षमा की शवयात्रा की है )



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