राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में आर्थिक संकट से निपटने के लिए गठित की गई समिति, मजदूरों को 1 हजार रूपए की सहायता
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में आर्थिक संकट से निपटने के लिए गठित की गई समिति, मजदूरों को 1 हजार रूपए की सहायता

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भोपाल. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना संकट के वर्तमान दौर में लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के अवरूद्ध होने से प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हमारी अर्थ-व्यवस्था को सुधारने एवं पुन: गतिमान करने के लिए हमने अनुभवी अर्थ-शास्त्रियों की समिति बनाकर बहुमूल्य सुझाव प्राप्त किये हैं।


इन सुझावों पर अमल कर अर्थ-व्यवस्था को पुन: सुदृढ़ करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली रिपोर्ट आज आ गई है। दूसरी रिपोर्ट आने वाली है। श्री चौहान ने कहा कि  मध्यप्रदेश की मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार रोजगार एवं आमदनी के साधन बढ़ाकर हम अर्थ-व्यवस्था को पुन: पटरी पर लाएं। श्री चौहान ने आज मंत्रालय में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में आर्थिक संकट से निपटने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करते हुए यह बात कही।


आर्थिक पैकेज


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अर्थ-व्यवस्था सुधारने के लिए समिति के सदस्यों के सुझावों के अनुसार खर्चों में कटौती किए जाने के साथ ही भारत शासन से आर्थिक मदद प्राप्त करने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण घोषित आर्थिक पैकेज में मुख्यत: 46 लाख विभिन्न पेंशनधारियों को दो माह की पेंशन का अग्रिम भुगतान, 8 लाख 50 हजार मजदूरों को एक हजार रूपए की सहायता, राज्य शासन के विभिन्न विभागों के कोविड-19 की ड्यूटी में लगे कर्मियों को 50 लाख रूपए का बीमा कवर आदि प्रमुख हैं। 


गेहूँ उपार्जन कार्य


मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना संकट के बावजूद प्रदेश में किसानों के गेहूँ को समर्थन मूल्य पर क्रय किए जाने का उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। इससे अर्थ-व्यवस्था को गति मिलेगी। आज तक हमने लगभग 20 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन कर लिया है। हम शीघ्र ही चना, मसूर एवं सरसों भी समर्थन मूल्य पर खरीदने जा रहे हैं। हमारा एक करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन का लक्ष्य है। इस बार सरकार ने किसानों को सौदा पत्रक के माध्यम से भी खरीदी की सुविधा प्रदान की है, जिससे वे अपने घर से ही व्यापारियों को अपनी फसल बेच रहे हैं। इसके अंतर्गत अभी तक लगभग चार लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई है।


मनरेगा के कार्य प्रारंभ


मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में मजदूरों को रोजगार देने के लिए संक्रमण मुक्त ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के कार्य प्रारंभ करवा दिए गए हैं। कल तक लगभग पाँच लाख व्यक्तियों को इसके अंतर्गत रोजगार दिया गया है। इसी के साथ, सरकार सड़क जैसे अधोसंरचना के कार्य भी प्रारंभ करवा रही है। इसके लिए सरकार को अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी।  


एक लाख करोड़ रूपए के ग्रांट की आवश्यकता


अर्थशास्त्री प्रोफेसर रथिन राय ने कृषि, पशुपालन तथा निर्माण गतिविधियों को प्रारंभ करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न कार्य कराये जाने के लिए लगभग एक लाख करोड़ रूपए की भारत सरकार से ग्रांट की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के कारण प्रदेश के राजस्व में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आएगी। 


सी.एस.आर. गतिविधियों की आवश्यकता


अर्थशास्त्री श्री सुमित बोस ने कहा‍कि मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था सुधारने के लिए सी.एस.आर. गतिविधियों की भी आवश्यकता होगी। यदि भारत सरकार से ग्रांट नहीं मिलती है, तो बाजार से राशि लेनी होगी। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन का वितरण आवश्यक बताया। उन्होंने बताया कि अर्थ-व्यवस्था सुधारने में राज्य सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज तथा भारत सरकार द्वारा जारी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज महत्वपूर्ण है। 


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना


भारत सरकार द्वारा जारी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत प्रदेश में मुख्यत: स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों, डॉक्टर्स आदि को 50 लाख रूपये का बीमा कवर, 1.11 करोड़ पात्र परिवारों को 5 किलो गेहूँ/चावल तथा एक किलो दाल, महिलाओं के 1.69 करोड़ जनधन खातों में 500 रूपये तीन माह तक जमा, गरीब, वृद्ध, गरीब विधवा तथा गरीब नि:शक्तजन (लगभग 22 लाख) को 1 हजार रूपये का एक्स-ग्रेशिया, प्रधानमंत्री किसान योजना अंतर्गत 64.96 लाख किसानों को चालू वर्ष की 2 हजार रूपये की प्रथम किश्त का भुगतान आदि  प्रमुख हैं। 


शहरी गरीबों को रोजगार देना आवश्यक


अर्थशास्त्री श्री ए.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि शहरी गरीबों को रोजगार देने की आवश्यकता होगी। छोटे व्यवसायियों को अपना व्यापार खड़ा करने के लिए राज्य शासन से अनुदान की भी आवश्यकता होगी। ग्रामीण मजदूरों को उनके ग्राम में ही रोजगार देना होगा। उन्होंने बताया कि इस बार लगभग 26 हजार करोड़ रूपए के राजस्व की हानि संभावित है। अर्थशास्त्री प्रो. गणेश कुमार ने बताया कि छोटे व्यवसायों को संरक्षण देने की आवश्यकता होगी। बैंकों से पैसा लेने के लिए उन्हें सबस्टेन्शियल गारंटी देना होगी। 


अतिरिक्त धनराशि का इंतजाम आवश्यक


समिति के समन्वयक श्री अनुराग जैन ने बताया कि प्रदेश में कृषि, डेयरी तथा रोजगारमूलक आदि कार्य के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए भारत सरकार को अनुशंसाएं भेजी जा रही हैं। 


मुख्‍य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस सहित समिति के समन्वयक एवं अपर मुख्‍य सचिव वित्त श्री अनुराग जैन तथा सदस्य सर्वश्री सुमित बोस पूर्व वित्त सचिव भारत सरकार, डॉ. रथिन राय डायरेक्टर एनआईपीएफपी, प्रो. गणेश कुमार नीडूगाला आई.आई.एम. इंदौर, ए.पी. श्रीवास्तव महानिदेशक प्रशासन अकादमी बैठक में उपस्थित थे।


 


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