विश्व मज़दूर दिवस के अवसर पर असंगठित मजदूर कांग्रेस ने 7 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव को भेजकर उठाई आर्थिक राहत की मांग
विश्व मज़दूर दिवस के अवसर पर असंगठित मजदूर कांग्रेस ने 7 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव को भेजकर उठाई आर्थिक राहत की मांग

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567


नागदा - अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर असंगठित मजदूरों एवं कामगारों के उत्थान के लिए असंगठित मजदूर कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अभिषेक चौरसिया द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस को 7 सूत्रीय मांग पत्र भेजा गया ।


अभिषेक चौरसिया ने बताया कि उनके द्वारा राज्य शासन से निम्नलिखित मांग की गई हैं -


अभिषेक चौरसिया ने बताया कि उनके द्वारा राज्य शासन से निम्नलिखित मांग की गई हैं -



  • 1) मध्यप्रदेश के समस्त आम नागरिकों के 3 महीने के बिजली के बिल माफ़ किए जाए।  (1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2020 तक)

  • 2) ओद्यौगिक शहर नागदा सहित संपूर्ण मध्यप्रदेश के ओद्यौगिक इकाइयों में कार्यरत समस्त श्रमिकों का रोज़गार सुनिश्चित करवाया जाए और किसी भी उद्योग में श्रमिकों की छटनी पर रोक लगाई जाए ।

  • 3) मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में असंगठित मजदूरों एवं कामगारों की समस्याओं के निराकरण के लिए हेल्पलाइन व्यवस्था शुरू की जाए ।

  • 4) म.प्र. शासन द्वारा संचालित "सबल योजना" के अंतर्गत मध्यप्रदेश के समस्त असंगठित कामगारों एवं मजदूरों के नवीन पंजीकरण हेतु आधार लिंक बेस्ड ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया तत्काल शुरू करवाई जाए ।

  • 5) म.प्र. के भवन एवं सनिर्माण कार्य मजदूरों के उत्थान हेतु सुरक्षित "लेबर सेस फंड" में से तत्काल 8 हजार रुपए/प्रति मजदूर आर्थिक मदद की जाए ।

  • 6) म.प्र. के छोटे और मध्यम किसानों एवं खेतिहर मजदूरों को 60 साल की आयु के बाद 3,000 रुपये/महीने की पेंशन हेतु व्यवस्था की जाए ।

  • 7) म.प्र. के स्ट्रीट वेंडर्स, ऑटो रिक्शा चालकों, छोटे किराना व्यापारियों एवं सब्जी दुकान संचालकों को 3 माह तक 3,000 हजार रूपए/माह एवं राशन उपलब्ध करवाया जाए । क्योंकि लॉकडाउन की वज़ह से सड़कों के किनारे और चौराहों पर स्ट्रीट फूड की दुकान लगाकर जीवनयापन करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स की तरफ़ शासन द्वारा अबतक कोई आर्थिक सहायता की व्यवस्था हेतु पहल नहीं की गई है ।


अभिषेक चौरसिया ने राज्य शासन पर आरोप भी लगाया है कि राज्य शासन द्वारा विगत दिनों म.प्र. के भवन एवं सनिर्माण कार्य मजदूरों को जो 1 हज़ार रुपए की राशि प्रदान की गई उसमें भी मजदूरों के हितों के साथ खिलवाड़ किया गया है । जहां मध्यप्रदेश में भवन एवं अन्य सनिर्माण कार्य मजदूरों कि संख्या 29 लाख 96 हजार 227 हैं वहीं शासन द्वारा मात्र 8 लाख 85 हजार 89 मजदूरों को ही 1 हज़ार रुपए की राशि प्रदान की गई जबकि अबतक 21 लाख निर्माण कार्य मजदूरों को मदद का इंतेज़ार हैं ।


राज्य सरकार निर्माण कार्य मजदूरों को इससे कहीं ज्यादा राशि का भुगतना कर सकती थी क्योंकि राज्य के कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड में "लेबर सेस फंड" के रूप जो फंड जमा है, वह हज़ारों करोड़ रुपये का है और वर्तमान में यह राशि सरप्लस में हैं । यह राशि मजदूरों के उत्थान के लिए ही सुरक्षित हैं फिर भी शासन द्वारा इसी महामारी के दौर में भी असंगठित कामगारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं । आखिर 1 हजार रूपए में कोई परिवार कैसे गुज़र बसर कर सकता हैं। ऐसी स्थिति में शासन द्वारा आर्थिक सहायता पैकेज प्रदान कर प्रदेश की आम जनता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाना होंगी


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