अभी तक नहीं हुई अमानक बीज मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज, परमंडल अमानक बीज मामले में प्रभावित किसानों का आरोप
अभी तक नहीं हुई अमानक बीज मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज, परमंडल अमानक बीज मामले में प्रभावित किसानों का आरोप 

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ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल 


मुलताई। मुलताई की परमंडल सोसायटी में एक सैकड़ा किसानों का सोयाबीन न उगने का मामला तूल पकड़ रहा। मुलताई के पूर्व विधायक डॉ सुनीलम के हस्तक्षेप की वजह से अमानक बीज का यह मामला उजागर हो पाया। शनिवार को उन्होंने एक सैकड़ा किसानों की फसल ताबाह होने पर बीज विक्रय करने वाली परमंडल सहकारी समिति और बीज उत्पादक बायोब्लिस पर एफआईआर सहित बीज रिपलेसमेंट की मांग की है।


क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि यह बायोब्लिस बीज उत्पादक राजनैतिक रूप से प्रभावशाली लोगों का उपक्रम है, इसलिए इस पर कभी कार्रवाई नही होती। उन्होंने बीज उत्पादन प्रोग्राम की जांच की मांग की है। जो किसान प्रभावित हुए है उनकी नुकसानी आकलन कर उन्हें प्रति एकड़ के हिसाब से क्षति पूर्ति देने की भी मांग की गई है। वही बायोब्लिस का बीज और किन समितियों में सप्लाई हुआ है इस बात का भी खुलासा कर वहां भी जांच की मांग की गई है। 


पहले भी दबा दिए मामले ही 


बताया गया कि हर सीजन में कृषि विभाग बीज के नमूने लेकर कृषि विभाग जांच के लिए लैब भेजता है। हमेशा बोबनी के बाद ही रिपोर्ट आती है। हर सीजन कई लॉट के नमूने फेल होते है पर नोटिस देने के अलावा कोई ठोस कार्रवाई नही होती। यदि पिछले पंद्रह साल के रिकार्ड की जांच की जाए तो बायोब्लिस जैसे कई बीज उत्पादक पर अब तक कई बार एफआईआर दर्ज हो चुकी होती। इस बार भी परमंडल का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। 


नहीं मिलती किसानो का क्षतिपूर्ति 


बताया गया कि अमानक या मिक्सिंग बीज के मामले में कायदे से किसानों को फसल नुकसानी में क्षति पूर्ति मिलना चाहिए। यह बात बीज उपत्पादन समिति के साथ बीज सप्लाई के एग्रीमेंट में भी लिखी होती है पर कृषि विभाग कभी भी इन बीज उत्पादक समितियो से किसानो का क्षतिपूर्ति दिलवाने की कोशिश नही करता। कृषि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह के मामलों में नुकसानी का आकलन कर किसानों का क्षतिपूर्ती दिलवाए।


अमानक बीज में भी कर देते है पूरा भुगतान 


बीज उत्पादन का खेल ही अलग है। हर सीजन में अंकुरण जांच के लिए सेम्पल लिए जाते है बोबनी के बाद ही रिपोर्ट आती है। जो नमूने फेल हो जाते है उनमें कायदे से भुगतान नही होना चाहिए पर कृषि विभाग और सहकारी विभाग की मिली भगत से ऐसी समितियो को बीज का पूरा दाम चुका दिया जाता है। बीज में नमूने लेने से लेकर सेम्पल रिपोर्ट देर से आने तक का खेल सुनियोजित है। 


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